Sunday, August 29, 2010

बिहार में विपक्ष को खटक रहा है नीतीश का विकास


बिहार में विधान सभा चुनाव होने वाले जिसके लिए सभी राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे है !जिसके चलते सभी ने जनता को लुभाना और जाताना शुरू कर दिया है !सभी दल दावा कर रहे है की बिहार में जो भी विकास हुआ वो उनकी ही दें है चाहे उसमे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार या विपक्ष !लेकिन कोई कुछ भी कहे लेकिन जो सच है वो सच ही रहेगा चाहे कोई कुछ भी कहे और सच पर पर्दा डालने का कितना भी प्रयास करे !नीतीश के मुख्यमंत्री बनने से पहले और बनने की बाद की तस्वीर किसी की आंख से परे नहीं है !नीतीश के कल में लालू भी विकास कार्यो का श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए है उनका कहने है की बिहार में विकास के लिए केंद्र सरकार ने जो धन दिया उसके लिए उन्होंने ही केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था !दबाव उन्होंने बनाया साथ ही हंगामा भी खूब मचाया और संसद की गरिमा को तार तार किया ! केंद्र सरकार पर लेकिन अपनी सेलरी बढ़ाने के लिए वो भी ५०० प्रतिशत ! एक बात तो तय है की इस बार बिहार में चुनाव का मुद्दा बस और बस विकास का रहने वाला है जो अधिकांश चुनाव से गायब ही रहता है! नीतीश के अलावा बिहार में हुए विकास कार्यो का श्रेय लेने का अधिकार किसी को नहीं है क्यूकी अब से पहले क्यों किसी ने वह विकास नहीं कर लिया !चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन हकीकत तो यही है बिहार में विकास रूपी क्रांति को लाने वाले सिर्फ नीतीश कुमार ही है !विपक्ष भी कमल की चीज होती है सरकार काम करे तो परेशानी न करे तो भी !पिछले पांच वर्षो में बिहार को पूरी तरह बदल दिया है वहा पर आज लोगो के पास पेट पलने का जरिया है और उसकी कीमत भी ठीक है !वहा के लोगो को पहली बार अहसास हो रहा है की उनका प्रदेश भी और सभी प्रदेश के जैसा ही है !नीतीश ने जो कुछ भी किया उसको प्रमाण की आवश्यकता नहीं है ! अगर कहा जाये की नीतीश ने बिहार को फर्श से अर्श पर पंहुचा दिया तो गलत नहीं होगा !लेकिन जब सुना की काम किसी का और वह वही लूटना सब चाहते है तो लगा की कुछ भी हो नेता जनता में भ्रम पैदा करना और उन्हें पागल बनाना कितना आसान समझते है!उनकी इस सोच को बस बस जनता ही बदल सकती है ,जनता ही है जो नेताओ को फर्श से अर्श तक सफ़र तय कराती है भले अर्श पर जाने के बाद उन्हें जनता नहीं दिखाई देती हो !

Friday, August 27, 2010

साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने वाले क्या भागेंगे उलटे पाँव??


लोग सहमे है पता नही जब अयोध्या कांड पर फैसला आये तो क्या होगा !फैसला किसी के भी पक्ष में आये लेकिन टकराव के हालत हर ओर से है और उम्मीद भी ! लेकिन इस बार कुछ ऐसा करने की जरुरत है जिससे देश में संप्रदाय उन्मांद फ़ैलाने वाले उलटे भाग जाये !ऐसा तभी होगा जब हम सब एक होंगे और सब बस भारतीय होंगे !कुछ राजनीतिक दल इस उन्मांद में अपनी खोयी हुई सत्ता तलाश करने की जुगत में है वो सोच रहे है की जितना बेवकूफ बनाना जनता को जब आसान था उतना आज भी है !लोग आज समझदार और सब अपने परिवार का पेट पलने में लगे है लेकिन ऐसे लोग भी ज्यादा समझदार हो गए है जो आग में घी डालने का कम करते है !देश में पहले ही इतना कुछ हो चुका जिसमे कई घरो के चिराग भुझ गए है ! मैंने अपने अन्दर इस डर को महसूस किया अगर लोगो को भड़काया गया तो क्या होगा ...अगर मैं और मेरा परिवार उस वक़्त बहार हुआ ,कही सडक पर हुआ तो क्या होगा !सोचकर बहुत डर लगता है ! मैं रक्षाबंधन पर अपने घर गया था , मैं उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना कसबे का रहने वाला हूँ ! वहा मैं अपने एक मित्र के घर पर बैठा था और गप्पे मर रहा था ! मेरी नज़र अख़बार कि एक खबर पर पड़ी जिस पर लिखा था जिला अतिसंवेदनशील घोषित !खबर पढ़ी और उसको पढने के बाद दोस्त ने जो अपने परिवार से कहा उस से उसका डर सामने था ! मेरे दोस्त ने अपने परिवार को फैसले वाले दिन कही भी बहार न जाने के लिए कहा ! एक बात और कुछ लोगो को इस बात से कोई सरोकार नहीं है के फैसला किसके पक्ष में आये उन्हें तो बस जल्दी है के फैसला चुनाव से पहले आ जाये और डर इस बात का कही कोर्ट ने फैसला अटका दिया तो बस फिर से पक्का विपक्ष में बैठना पड़ेगा !उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी कवायद शुरू कर दी कही कुछ अनहोनी न हो जाये !प्रदेश सरकार चाहे इसके पीछे कोई राजनीति कर रही लेकिन इंतजाम ऐसा किया जैसे प्रदेश छावनी हो !

Thursday, August 19, 2010

राजीव जी के कदम से देश रोशन


" देशभक्ति किसी एक संप्रदाय की धरोहर नहीं है देशभक्ति हर भारतीय के खून में बसी है " ये लाइन उसने कही जिसने देश को बुलंदी पर ले जाने का सपना बुना था और वो थे भारत रत्न राजीव गाँधी !उनके अन्दर देश को उन विकसित देशो की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देनी एक अलख थी जो आज तक देश में प्रज्वलित है!देश हमारा है , हम सब भारतीयों का है इसमें कोई धर्म नहीं है बस एक धर्म है की हम सब भारतीय है !जैसे देशभक्त किसी संप्रदाय का नही होता उसी तरह देशद्रोही भी !राजीव गाँधी ने देश को जो दिया और देश के लिए जो सपना देखा उसकी तुलना की ही नहीं जा सकती है !उन्होंने जो सपने देखे थे वो आज भी पूरे किये जा रहे है !देशभक्ति केवल सीमा पर लड़ रहे जवानों के लिए नही होती !देशभक्त तो हर वो इन्सान है जो अपने देश या देश के जनता की भलाई का कोई कार्य करे और वो कार्य कुछ भी हो सकता है जैसे परेशान की मदद करना , भूखे को खाना खिलाना आदि ऐसा कुछ भी जो बस देश के हित में हो अनहित में नही !बंद मुट्ठी में बहुत ताक़त होती है लेकिन आज दो भाई साथ नही रह सकते तो पूरा देश एकजुट शायद नहीं पर कोशिश करनी चाहिए क्योकि अलग रहकर प्यार कम नहीं होता! हमे अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ कार्य देश के लिए करते रहना चाहिए १५ अगस्त और २६ जनवरी पर झंडे लगाने के अलावा भी !

राजनीति न कर बदलाव करने की जरुरत !

विपक्ष नामक शब्द एक ऐसा रूप ले चुका है उसे बस सत्ता पक्ष की टांग खिचाई करनी है वो जब जनता के सामने सरकार या दूसरे दल की धज्जिया उधेड़ते है तो वो अपनी गिरबान में झाकना ही भूल जाते है और इस आत्मविश्वास से बात करते है जैसे वो दूध के धुले है !किसान का आन्दोलन चल रहा है और यूपी के साथ साथ देश की राजनीति गर्म है और शायद ही ऐसा कोई दल होगा जो इसका फायदा न उठाना चाहता हो !विपक्ष में चाहे कोई भी हो आरोप मढने की कला अपने आप ही आ जाती है ! अब आप शिवपाल यादव जी को ही देख लीजिये वो भी पहुच गए और माया सरकार पर जमकर निशाना लगाया ! शिवपाल जी ने कहा की सरकार जबरन किसानो की जमीन ना ले और ना जाने जाने क्या क्या और किस किस पारकर के आन्दोलन और प्रदर्शन करने के बात की और साथ ही ये भी कहा की जेपी ग्रुप में मायावती का पैसा लगा हुआ है इसलिए वो जबरदस्ती जमीन ले रही है ! इन सब बातो को सीना फुलाकर कहने वाले शिवपाल जी रिलायंस के दादरी पॉवर प्रोजेक्ट को हुआ विवाद को भूल गए ! वो भूल गए के उनका और माया सरकार का कदम कितना मिलता जुलता था !इस बात से कोई अज्ञात नहीं है के उस प्लान में सरकार किसानो को फायदा पंहुचा रही थी या किसी और को लेकिन हमारे विपक्ष के नेता सबकुछ भूल कर नहा धोकर पीछे पड़ गए ! सब राजनीति कर रहे है कोई इस मसले के ऐसे सुझाव की बात नहीं कर रहा जिससे ऐसे स्थिती भविष्य में उत्पन न हो !क्यों न एक ऐसा नियम और कानों बनाना चाहिए जिसमे सधी तोर पैर किसान अपनी जमीं बेचने का हकदार हो और भूमि अधिग्रहण को समाप्त कर देना चाहिए !कुछ भी आज किसान की स्थिति ठीक नहीं है अब मैं भूमि अधिग्रहण की बात नहीं बल्कि एक ऐसे मुद्दे को आप सब के बीच रख रहा हूँ जो किसान का हक है और मेहनत लेकिन मालिक सरकार वो है उनकी फासले जैसे गेंहू ,चावल और गन्ना ! किसान इन फसलो को बोता लेकिन वो अपने सामान को अपने भाव पर नहीं बेच सकता उसका रेट सरकार तय करती है जो की किसान के हित की बात नहीं है !किसान का व्यापारिक इस्तेमाल तो किया जाता है लेकिन उसे व्यापार का लाभ नहीं दिया जाता !सरकार को किसान की भलाई के लिए अपने नियम और कानून में कुछ बदलाव करने की जरुरत है और समाज की भलाई भी इसी में है !

Tuesday, August 17, 2010

आग फैली तो ........................



अलीगढ और मथुरा में जो आग लगी है ये आग धमने वाली नहीं है ! क्यूकी आज हर कोई व्यापारी भाषा का प्रयोग करने लगा है !ये कहना तू गलत होगा के किसान ने जो धरना प्रदर्शन किया वो गलत है लेकिन किसान जिस मुआवजे की बात कर रहे है क्या वो रेट सही है ! खुद ही सोचिये चलो एक व्यापारी के नाते सोचो क्या जमीन के रेट पूरे देश में समान्तर है नहीं है और हो भी नहीं सकते !नोएडा और अलीगढ किस तरह से बराबर मुआवजे के हक़दार है ........सोचो अगर मैं गलत हूँ और अगर गलत सोच रहा हूँ तो मुझे बताओ मैं आप सब के बीच में से ही आवाज उठा रहा हूँ !नोएडा में प्रोपर्टी के रेट आम आदमी के लिए कस्तूरी से कम नहीं है फिर कैसे सरकार नोएडा के बराबर अलीगढ और मथुरा के किसानो को मुआवजा दे दे !लेकिन सच कहो तो लोगो में आग लगाना बहुत आसान काम समझ लिया है कुछ लोगो ने !किसान भड़के आग लगी और नेता उस आग पर राजनीती की रोटिया सेकने रवाना हो गए ! जिस सफ़ेद पोश से पूछो के भैया कहा चले तो बोलते है अलीगढ और मथुरा !सरकार ने अलीगढ और मथुरा के किसानो को किसी तरह शांत किया लेकिन नेता जी की रोटी तो कच्ची रह गयी !मोबाइल बजा नेता जी का तो पता चला रोटी पक सकती है क्यूकी यही आग अब आगरा में लग गयी है !विकास हर जगह होगा नोएडा हो या अलीगढ ...या फिर सीतापुर हो या लोखंडवाला या फिर कही भी हो लेकिन मुख्य बात यही आकर ठहर जाती है की क्या ये आग ऐसे ही जगह जगह जलती रहेगी और लोग इस आग में जलते रहेंगे ! सरकार को कुछ ऐसा सोचने की जरुरत है जिससे आग फैला नहीं !ये बात किसानो को समझनी चाहिए की जैसे हर जगह खेत में पैदावार बराबर नहीं होती तो फेर जमीन के दाम बराबर कैसे हो जायेंगे !

Saturday, August 14, 2010

देश के ठेकेदारों से आज़ादी कब



आज हम आज़ादी की ६४वी वर्षगाँठ मना रहे है और देश के हर सदस्य देशभक्ति के गीत गुनगुना रहा है !लेकिन आज गुनगुनाने के बाद हम फिर कब देश को याद करेंगे और कब देश के बारे में सोचेंगे कुछ पता नही ...शायद २६ जनवरी को !हम आजाद है लेकिन हम अपनी आज़ादी को नहीं ले पा रहे है ..पहले हम गोरो के गुलाम थे लेकिन आज आजाद होने के बाद भी हम अपने ही देश में गुलाम है !गुलाम बनने में पहले भी कुछ न कुछ हमारी गलती थी और आज भी !पहले गोरे हमे आपस में लड़वाते थे लेकिन आज उनकी कमी को देश के ही कुछ ठेकेदार पूरा कर देते है ! सच बात तो यही है की आज़ादी है लेकिन वो नहीं जो हमे मिली थी ..आज जब हम अपनी शिकायत करने किसी सरकारी विभाग में जाते है तो हम सब को अपनी आज़ादी का अच्छे से पता चल जाता है !हमारी अपनी मेहनत की कमाई को पाने के लिए एक हिस्सा कही और भी देना होता है जिसे देकर हर व्यक्ति को अपनी आज़ादी की परिभाषा बहुत अच्छे से समझ आ जाएगी !देश में इतने तरह के भ्रष्टाचार है के आम आदमी की सोच से भी परे है ! गोरो के बाद अब हमे अपने ही देश के लोगो से आज़ादी छीनने की जरुरत है ..

Thursday, August 12, 2010

परायी सोच..............



६३ साल पहले जो खेल गोरो ने खेला था वही आज पाकिस्तान कश्मीर में हमारे साथ खेल रहा है वो खेल है है आपस में लड़वाने का ! अलगवाद में युवाओ के साथ बच्चे भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे है !जिस उम्रे में बच्चो के हाथ में खिलोने होने चाहिए उन हाथो में पत्थर और आँखों में जबरदस्त आक्रोश है ! गोलियों के सामना पत्थर से करने का जिगर अगर देश के काम आये तो कहना क्या लेकिन दुर्भाग्य आज युवा और बच्चे देश से अलग होने की मांग कर रहे है जिससे देश का हर व्यक्ति आहत है !पाक इस बात को बहुत अच्छी तरह जनता है की वो आमने सामने की लड़ाई में हमसे अहि जीत सकता इस लिए पाक ने अलगवाद की आग लगा दी और अब उसमे घी डाल डाल कर उसे और भड़का रहा है !देश अपना लोग अपने परायी है तो बस ये अलगवाद की सोच !