मिशन २०१२ ? राहुल गाँधी का यूपी में सरकार बनाने का सपना ! जिस सपने के बारे में सोचकर मेरे जैसे पता नहीं कितने लोगों के दिमाग में एक बेतुका सा सवाल आता होगा कि क्या राहुल के मिशन पूरा होगा, और अगर होगा तो क्यों होगा? कांग्रेस पार्टी पर हमेशा से ही नेहरु -गाँधी परिवार का ही वर्चस्व रहा है ! कांगेस अध्यक्ष पद पर पंडित मोतीलाल नेहरु ,जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी ,राजीव गाँधी रह चुके है ! आज राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और उनकी माता सोनिया गाँधी अध्यक्ष पद पर काबिज है , जिनकी लगातार चौथी बार इस पद पर ताजपोशी हुई है !यही कारण है जिसकी वजह से कांग्रेस को एक ही परिवार की पार्टी कहा जाता है ! बिहार में कांग्रेस कि जो गत हुई उससे हर कोई परिचित है ! यूथ आइकन राहुल गाँधी ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी लेकिन नतीजा लगभग नगन्य ही रहा ! अब राहुल गाँधी यूपी में अपनी जमीन मजबूत करने में लगे है ! हालाँकि २००९ में हुए लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सीटे मिली , लेकिन इस बात में कोई संकोच नहीं है कि लोकसभा और विधान सभा के चुनाव में वोटर कि मानसिकता अलग होती है! उत्तराखंड भाजपा शासित प्रदेश है लेकिन २००९ में एक भी सीट भाजपा को नसीब नहीं हुई और सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा ! अपितु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राहुल के राजनीति में पड़े क़दमों ने कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी बूटी का काम किया ! २००४ में राहुल गाँधी ने अपना पहला चुनाव लड़ा और एक लम्बे समय के बाद कांग्रेस को सत्ता नसीब हुई ! उसके बाद 2007 में यूपी में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को ४२५ में से मात्र २२ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा ! लेकिन २००९ लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने अकेले दम पर ८० में से २१ पर विजयी झंडा गाड़ा ! २००९ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था कि मेरे पिता जी दोनों हाथो से सेवा करते थे लेकिन मेरा एक हाथ बंधा है ! जिसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार है जो विकास कार्यों में सहयोग तो करती ही नहीं बल्कि , बाधा भी पैदा करती है ! उन्होंने जनता से यूपी में भी कांग्रेस कि सरकार लाने कि अपील कि थी ! राहुल यूपी में ताबड़तोड़ दौरे कर रहे है ! बिना किसी प्रोग्राम के कही भी पहुंच जाते है ! चाहे टप्पल में किसानों का आन्दोलन हो या कानपुर में बलात्कार के बाद मौत का शिकार हुई दिव्या की माँ से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन ! लेकिन सबके सामने सूबे में गैर कांग्रेसी सरकार के कारण मज़बूरी का रोना जरुर रोते है !
राहुल का यूपी में दलितों की चोखटों पर पहुंचने का सिलसिला लगातार जरी है ! उनके घर खाना खा और सो कर , मायावती के सॉलिड कहे जाने वाले वोट बैंक में सेंध लगाने कि हाड तोड़ मेहनत कर रहे है ! कहा जाता है कि बसपा के टिकट के साथ तो २०-२५ हज़ार वोटों कि गारंटी मिलती है , मतलब दलित वोट ! भले ही राहुल के ये कदम कितने ही राजनीतिक
क्यों ना हों ,भले ही मायावती ने राहुल पर दलितों से मिलने के बाद स्पेशल साबुन से नहाने के आरोप लगाया हो, लेकिन ये कदम एक विश्वास पैदा करने वाले तो है ही ! और राहुल गाँधी जिस तरह से अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना जनता के बीच जाकर जिस अंदाज में मिलते है , वो अंदाज तो किसी को भी अपना बना सकता है ! आगामी चुनाव में राहुल ३० फीसदी टिकट युवाओं को देने कि बात कर रहे है ! युवाओं के जोश और राहुल की भोली सूरत में झलकते अपनेपन का जादू चला तो पंजा हाथी और साईकिल की गति पर पूर्ण विराम ही लगा सकता है ! राहुल गाँधी ने कई बार अपनी वाणी से ऐसे बोल कहे जिससे विवाद पैदा हुआ और उन्हें विपक्ष के तीखे कटाक्ष का सामना करना पड़ा ! जैसे मेरी दादी ने पाकिस्तान के टुकड़े कर दिए,नेहरू-गांधी परिवार का कोई आदमी अगर सत्ता में होता तो बाबरी मस्जिद नहीं गिरती, आर एस एस और सिम्मी में कोई फर्क नहीं है , और हाल ही में विकिलीक्स ने भी राहुल गाँधी को अपनी चपेट में लिया , जिसमे राहुल ने अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे. रोमर से कहा था की देश को सबसे ज्यादा खतरा भगवा आतंकवाद से है ! इन बयानों के बाद बीजेपी नेताओं ने तो राहुल को नासमझ ,अपरिपक्व बताते हुए राजनीति सीखने की सलाह दी !
२०१० में जिस तरह बड़े -बड़े घोटालें उजागर हुए , उसका नुकसान कही कांग्रेस पार्टी को २०१४ से पहले २०१२ में उठाना पड़ सकता है ! विपक्ष कोई ऐसा मुद्दा अपने हाथ से नहीं जाना देना चाहता जिससे वह सरकार को घेर सके, चाहे वह घोटालें हो या कमर तोड़ महंगाई ! लेकिन जनता भी करे तो क्या करे , जनता के पास बिहार की तरह ना तो कोई विकल्प केंद्र में है और ना ही यूपी में कोई ऐसा चेहरा है ! मायावती को जिस तरह से यूपी की जनता ने पूर्ण बहुमत दिया था , लेकिन जनता की कसौटी पर मायावती खरी नहीं उतर पाई और विकास कर्यों के नाम पर मूर्ति लगवाने पर ही अधिक ध्यान दिया ! मुलायम सिंह से भी मुस्लिम अभी जुड़ा प्रतीत नहीं होता है ! सूबे के चुनाव से पहले केन्द्रीय राज्य मंत्री और फर्रुखाबाद से सांसद सलमान खुर्शीद को काबिना मंत्री बनाना , कही राहुल का मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर सपना साकार करने का प्रयास तो नहीं है ? अगर राहुल मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण अपनी ओर करने में कामयाब हुआ तो मुलायम सिंह का यूपी में बिहार के लालू वाला हाल हो जायेगा ! और मुख्य मुकबला मैडम माया और युवराज के बीच होगा ! लेकिन अगर आजम खान और मुल्ला मुलायम का जादू चला तो राहुल गाँधी को फिर से पैवेलियन लौटना होगा!
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