Thursday, January 27, 2011

भ्रष्टाचार की फैलती जड़ों से लोकतंत्र खोकला




2010 कुल मिलकर घोटालों के नाम रहा और विपक्ष को सरकार पर तीर चलाने का पूरा मौका मिला ! 2-जी ,कामनवेल्थ तो कभी आदर्श सोसाइटी घोटाला , घोटाला ही घोटाला ! इनसे पहले कभी कफन घोटाला, कभी चारा – भूसा घोटाला, कभी दवा घोटाला, कभी ताबूत घोटाला,बोफोर्स टॉप घोटाला  तो कभी खाद घोटाला !लेकिन मानो रात के बाद सुबह की उम्मीद के बाद भी घोटाला!नए ताज़ा तरीन  मामलें खुले और पता चला की  भ्रष्टाचार की जड़े  कितने फ़ैल चुकी है जिसने लोकतंत्र को  को खोकला कर दिया है  ! हमारे देश में समस्या तो मानो थोक के भाव है जैसे बेरोजगारी , गरीबी और साक्षरता में भी काफी पिछड़ा हुआ है ! अधिकांश घोटालों का श्रेय अगर कांग्रेस को दिया जाये तो गलत नहीं होगा ! लेकिन सरकार और विपक्ष की लड़ाई को  भ्रष्टाचार  की जड़ों को मजबूत करने का   दो  योजना से दिल्ली कि कुर्सी से गायब भाजपा तो बस मनमोहन सरकार के पीछे पड़ी हुई है कि किसी तरह से जो सपना सत्ता पाकर ना पूरा हुआ उससे विपक्ष में ही बैठ के पूरा किया जाये ,वो सपना है मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री साबित करना! कमजोर शब्द मनमोहन जी के लिए कतई नया नहीं है , उन्हें तो हमेशा एक अच्छे अर्थशास्त्री के तौर पर सोनिया गाँधी कि रबर कि मोहर समझा गया !लेकिन कई मोके आये जब मनमोहन ने खुद को साबित कर दिया , जिससे भाजपा को करार झटका लगा! 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सरदार मनमोहन को कमजोर प्रधानमंत्री बताकर कुर्सी कब्जाना चाहे , तो कांग्रेस ने भी फिर से  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ही प्रमोट किया ! और परिणाम हम सबके सामने !


                  लेकिन २०१० तो मानो कांग्रेस के लिए नयी नयी मुसीबत लेकर आया! पूरे साल खलबली मची रही और कही मंत्री तो कही मुख्यमंत्री इस्तीफा दे रहे है ! कांग्रेस का कोई सफेदपोश कही तो कोई कही नए नए पचड़ों में नज़र आ रहे है ! लेकिन एक क्षमता तो कमाल की है, इस सरकार में , केवल  प्याज बीजेपी की सरकार को गिरा दिया लेकिन यहाँ दावा से लेकर दारू तक सब कुछ महंगा और घोटालों की बाढ़ है , लेकिन सरकार का कुछ नहीं बिगड़ा! २०११ में देखना है देश को हज़म करने पर तुले कितने और चेहरों से नकाब उतरता है ! लेकिन जिन लोगों के चेहरे से नकाब उतरा है उन पर क्या करवाई होती है !हाल ही में कामनवेल्थ गमेस के आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी की कुर्सी जैसे हे गयी , उन्होंने तो सरकार को भी अपनी चपेट में ले लेने के संकेत दे दिए ! एक बात तो तय है की कलमाड़ी के मुह से निकलने वाले शब्द केंद्र सरकार के लिए तीर का काम करंगे और एक- दो  सिपाहों के लगना भी निश्चित है ! आदर्श सोसायटी घोटाला मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जा चुका है ! २-जी स्पेक्ट्रम मामले भी रजा की कुर्सी चली गयी और चेहरों का परत दर परत खुलना जारी है ! लेकिन फिर भी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया जिससे भ्रष्टाचारियों को एक सबक मिले ! ऐसे तो कोई लगाम नहीं कसी जा सकती! किसी ने बोल कहे अच्छे लगे और सच भी ..उन्होंने कहा कि सब कुछ  करने वाले  भी ये और कराने  वाले भी ये..जाँच करने वाले भी ये और कराने  वाले भी ये , फसने वाले भी ये और फ़साने वाले भी ये, सफ़ेद पोश पहनने वाले भी ये और कीचड़ उछालने वाले भी ये !                           
              सरकार का अब  तक उठाये गए किसी भी कदम या किसी भी बयान से नहीं लगता की घोटालों की रस्म कभी छूट  पायेगी और ना ही कभी ऐसा दशहरा आयेगा जिस दिन  भ्रष्ट्राचार  का खात्मा  हो सके ! सरकार ने जो लोकपाल बिल  का मसौदा  तैयार किया है वो भी केंद्र सरकार के हाथों से कतई परे नहीं है , जैसे अन्य जाँच एजेंसियों पर केंद्र और राज्य सरकार  के लिए काम करने का आरोप लगता रहता है ! ऐसा लोकपाल बिल  के लिए तैयार किये गए मसौदे में लगता है , क्यूंकि ना तो लोकपाल को जाँच शुरू करने का अधिकार होगा और ना ही जनता की शिकायतों को दर्ज करने का ! शिकायत होगी लोकसभा अध्यक्ष से और जिन शिकायतों पर पर स्पीकर की मोहर होगी उन शिकायतों पर ही लोकपाल प्रकाश दल सकेंगे ! और लोकसभा अध्यक्ष किसके हाथ का मोहरा है और मोहर होती है ये किसी से छिपा नहीं है ! आखिर सरकार कोई भी हो और विपक्ष में भी चाहे कोई हो , पिसेगी तो जनता ही ! सदन का ठप रहना भी एक विचार योग्य मुद्दा है , जिस पर महामहिम ने भी चिंता व्यक्त की !क्या सरकार को घेरने के लिए सदन की कारवाही ठप कर देना ही एक मात्र चारा रह गया है ?
ऐसा नहीं है कि केवल भ्रष्टाचार  के लिए सरकार और सरकारी तंत्र ही जिम्मेदार , बल्कि जनतंत्र कि भागीदारी भी कम नहीं है ! क्यूंकि  जनतंत्र आम आदमी का बहाना लेकर रिश्वत देता और शोषण सहता है ! लेकिन आम आदमी की भागीधारी के बिना इस विकराल समस्या का समाधान मुमकिन दिखाई नहीं पड़ता ! हर आदमी जल्दी है और किसी के मांगने से पहले ही गाँधी से को उनके हाथ में थमा देते है ! थोडा मुश्किल जरुर है लेकिन जनतंत्र चाहे तो भ्रष्टतंत्र  को जड़ से उखाड़ फेंक सकता है !

 

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