विपक्ष नामक शब्द एक ऐसा रूप ले चुका है उसे बस सत्ता पक्ष की टांग खिचाई करनी है वो जब जनता के सामने सरकार या दूसरे दल की धज्जिया उधेड़ते है तो वो अपनी गिरबान में झाकना ही भूल जाते है और इस आत्मविश्वास से बात करते है जैसे वो दूध के धुले है !किसान का आन्दोलन चल रहा है और यूपी के साथ साथ देश की राजनीति गर्म है और शायद ही ऐसा कोई दल होगा जो इसका फायदा न उठाना चाहता हो !विपक्ष में चाहे कोई भी हो आरोप मढने की कला अपने आप ही आ जाती है ! अब आप शिवपाल यादव जी को ही देख लीजिये वो भी पहुच गए और माया सरकार पर जमकर निशाना लगाया ! शिवपाल जी ने कहा की सरकार जबरन किसानो की जमीन ना ले और ना जाने जाने क्या क्या और किस किस पारकर के आन्दोलन और प्रदर्शन करने के बात की और साथ ही ये भी कहा की जेपी ग्रुप में मायावती का पैसा लगा हुआ है इसलिए वो जबरदस्ती जमीन ले रही है ! इन सब बातो को सीना फुलाकर कहने वाले शिवपाल जी रिलायंस के दादरी पॉवर प्रोजेक्ट को हुआ विवाद को भूल गए ! वो भूल गए के उनका और माया सरकार का कदम कितना मिलता जुलता था !इस बात से कोई अज्ञात नहीं है के उस प्लान में सरकार किसानो को फायदा पंहुचा रही थी या किसी और को लेकिन हमारे विपक्ष के नेता सबकुछ भूल कर नहा धोकर पीछे पड़ गए ! सब राजनीति कर रहे है कोई इस मसले के ऐसे सुझाव की बात नहीं कर रहा जिससे ऐसे स्थिती भविष्य में उत्पन न हो !क्यों न एक ऐसा नियम और कानों बनाना चाहिए जिसमे सधी तोर पैर किसान अपनी जमीं बेचने का हकदार हो और भूमि अधिग्रहण को समाप्त कर देना चाहिए !कुछ भी आज किसान की स्थिति ठीक नहीं है अब मैं भूमि अधिग्रहण की बात नहीं बल्कि एक ऐसे मुद्दे को आप सब के बीच रख रहा हूँ जो किसान का हक है और मेहनत लेकिन मालिक सरकार वो है उनकी फासले जैसे गेंहू ,चावल और गन्ना ! किसान इन फसलो को बोता लेकिन वो अपने सामान को अपने भाव पर नहीं बेच सकता उसका रेट सरकार तय करती है जो की किसान के हित की बात नहीं है !किसान का व्यापारिक इस्तेमाल तो किया जाता है लेकिन उसे व्यापार का लाभ नहीं दिया जाता !सरकार को किसान की भलाई के लिए अपने नियम और कानून में कुछ बदलाव करने की जरुरत है और समाज की भलाई भी इसी में है !Thursday, August 19, 2010
राजनीति न कर बदलाव करने की जरुरत !
विपक्ष नामक शब्द एक ऐसा रूप ले चुका है उसे बस सत्ता पक्ष की टांग खिचाई करनी है वो जब जनता के सामने सरकार या दूसरे दल की धज्जिया उधेड़ते है तो वो अपनी गिरबान में झाकना ही भूल जाते है और इस आत्मविश्वास से बात करते है जैसे वो दूध के धुले है !किसान का आन्दोलन चल रहा है और यूपी के साथ साथ देश की राजनीति गर्म है और शायद ही ऐसा कोई दल होगा जो इसका फायदा न उठाना चाहता हो !विपक्ष में चाहे कोई भी हो आरोप मढने की कला अपने आप ही आ जाती है ! अब आप शिवपाल यादव जी को ही देख लीजिये वो भी पहुच गए और माया सरकार पर जमकर निशाना लगाया ! शिवपाल जी ने कहा की सरकार जबरन किसानो की जमीन ना ले और ना जाने जाने क्या क्या और किस किस पारकर के आन्दोलन और प्रदर्शन करने के बात की और साथ ही ये भी कहा की जेपी ग्रुप में मायावती का पैसा लगा हुआ है इसलिए वो जबरदस्ती जमीन ले रही है ! इन सब बातो को सीना फुलाकर कहने वाले शिवपाल जी रिलायंस के दादरी पॉवर प्रोजेक्ट को हुआ विवाद को भूल गए ! वो भूल गए के उनका और माया सरकार का कदम कितना मिलता जुलता था !इस बात से कोई अज्ञात नहीं है के उस प्लान में सरकार किसानो को फायदा पंहुचा रही थी या किसी और को लेकिन हमारे विपक्ष के नेता सबकुछ भूल कर नहा धोकर पीछे पड़ गए ! सब राजनीति कर रहे है कोई इस मसले के ऐसे सुझाव की बात नहीं कर रहा जिससे ऐसे स्थिती भविष्य में उत्पन न हो !क्यों न एक ऐसा नियम और कानों बनाना चाहिए जिसमे सधी तोर पैर किसान अपनी जमीं बेचने का हकदार हो और भूमि अधिग्रहण को समाप्त कर देना चाहिए !कुछ भी आज किसान की स्थिति ठीक नहीं है अब मैं भूमि अधिग्रहण की बात नहीं बल्कि एक ऐसे मुद्दे को आप सब के बीच रख रहा हूँ जो किसान का हक है और मेहनत लेकिन मालिक सरकार वो है उनकी फासले जैसे गेंहू ,चावल और गन्ना ! किसान इन फसलो को बोता लेकिन वो अपने सामान को अपने भाव पर नहीं बेच सकता उसका रेट सरकार तय करती है जो की किसान के हित की बात नहीं है !किसान का व्यापारिक इस्तेमाल तो किया जाता है लेकिन उसे व्यापार का लाभ नहीं दिया जाता !सरकार को किसान की भलाई के लिए अपने नियम और कानून में कुछ बदलाव करने की जरुरत है और समाज की भलाई भी इसी में है !
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