Saturday, August 14, 2010

देश के ठेकेदारों से आज़ादी कब



आज हम आज़ादी की ६४वी वर्षगाँठ मना रहे है और देश के हर सदस्य देशभक्ति के गीत गुनगुना रहा है !लेकिन आज गुनगुनाने के बाद हम फिर कब देश को याद करेंगे और कब देश के बारे में सोचेंगे कुछ पता नही ...शायद २६ जनवरी को !हम आजाद है लेकिन हम अपनी आज़ादी को नहीं ले पा रहे है ..पहले हम गोरो के गुलाम थे लेकिन आज आजाद होने के बाद भी हम अपने ही देश में गुलाम है !गुलाम बनने में पहले भी कुछ न कुछ हमारी गलती थी और आज भी !पहले गोरे हमे आपस में लड़वाते थे लेकिन आज उनकी कमी को देश के ही कुछ ठेकेदार पूरा कर देते है ! सच बात तो यही है की आज़ादी है लेकिन वो नहीं जो हमे मिली थी ..आज जब हम अपनी शिकायत करने किसी सरकारी विभाग में जाते है तो हम सब को अपनी आज़ादी का अच्छे से पता चल जाता है !हमारी अपनी मेहनत की कमाई को पाने के लिए एक हिस्सा कही और भी देना होता है जिसे देकर हर व्यक्ति को अपनी आज़ादी की परिभाषा बहुत अच्छे से समझ आ जाएगी !देश में इतने तरह के भ्रष्टाचार है के आम आदमी की सोच से भी परे है ! गोरो के बाद अब हमे अपने ही देश के लोगो से आज़ादी छीनने की जरुरत है ..

No comments:

Post a Comment